ब्राह्मण समाज का इतिहास | सातवाहन राजवंश | चेदि राजवंश

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 ब्राह्मण साम्राज्य

ब्राह्मण समाज का इतिहास
ब्राह्मण समाज का इतिहास


1. शुंग एवं कण्व राजवंश


 ब्राह्मण समाज का इतिहास | सातवाहन राजवंश | चेदि राजवंश पुष्यमित्र शुंग, जिसने मगध पर शुंग वंश की नींव डाली, ब्राह्मण जाति का था। शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की। इण्डो-यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया। 

पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेध यज्ञ किया। इनके लिए पतंजलि ने अश्वमेध यज्ञ कराए । भरहूत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया। 

वंश का अंतिम शासक देवभूति था। इसकी हत्या 73 ईसा पूर्व में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की। कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ।


2. सातवाहन राजवंश


शिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की। सातवाहन (आन्ध्र वंश) शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान (गोदावरी नदी के किनारे) में स्थापित की। (प्रतिष्ठान महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।)

सातवाहन वंश के प्रमुख शासक थे सिमुक, शातकर्णी, गौतमीपुत्र शातकर्णी, वशिष्ठीपुत्र, पुलुमावी तथा यशश्री शातकर्णी

 शातकर्णी ने दो अवश्मेघ तथा एक राजसूय यज्ञ किया। सातवाहन शासकों के समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हाल एवं गुणाद्य थे। हाल ने (गाथासप्तशती) तथा गुणाढ्य ने बृहत्कथा नामक पुस्तकों की रचना की। सातवाहन ने चाँदी, तांबे, सीसा (सर्वाधिक), पोटीन और काँसे की मुद्राओं का प्रचलन किया। सातवाहन अपना सिक्का ढालने में जिस सीसे का इस्तेमाल करते थे, उसे रोम से मंगाया जाता था।


 ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया। भूमिदान का सर्वप्राचीन पुरालेखीय प्रमाण शताब्दी ई. पू. के सातवाहनों के नानाघाट अभिलेख में मिलता है, जिसमें अश्वमेघ यज्ञ में एक गाँव देने का उल्लेख है। 


सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी थी। सातवाहनों में हमें मातृतंत्रात्मक ढाँचे का आभास मिलता है। उनके राजाओं के नाम उनकी माताओं के नाम पर रखने की प्रथा थी, जैसे- गौतमीपुत्र, वासिष्ठीपुत्र आदि। लेकिन सातवाहन राजकुल पितृत्रात्मक था, क्योंकि राजसिंहासन का उत्तराधिकारी पुत्र ही होता था।


सातवाहन शासकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन का काम गौल्मिक को सौंपा। गौल्मिक एक सैनिक टुकड़ी का प्रधान होता था जिसमें नौ रथ, नौ हाथी, पच्चीस घोड़े और पैंतालीस पैदल सैनिक होते थे। 

सातवाहनों की महत्वपूर्ण स्थापत्य कृतियाँ हैं—कार्ड का चैत्य, अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास। शातकर्णी एवं अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे।


नोट: सातवाहन राज्य ने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम किया।


  3. चेदि राजवंश (कलिंग)


अशोक की मृत्यु के उपरांत संभवत: प्रथम शताब्दी ई.पू. में कलिंग में चेदी राजवंश का उदय हुआ। इसकी जानकारी हमें हाथी गुम्फा अभिलेख (भुवनेश्वर, उड़ीसा) से मिलती है। खारवेल इस वंश का एक प्रतापी राजा था।


खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था और उसने जैन मुनियों के लिए उदयगिरि की पहाड़ी में गुफा का निर्माण करवाया था।


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