अर्थव्यवस्था की परिभाषा | पूँजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है | राज्य अर्थव्यवस्था क्या है

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 अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था (Economics and Economy)

अर्थव्यवस्था की परिभाषा | पूँजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है | राज्य अर्थव्यवस्था क्या है
अर्थव्यवस्था की परिभाषा | पूँजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है | राज्य अर्थव्यवस्था क्या है 


अर्थव्यवस्था की परिभाषा | पूँजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है | राज्य अर्थव्यवस्था क्या है -  अर्थशास्त्र मानव की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है। मानव द्वारा सम्पन्न वैसी सारी गतिविधियाँ जिनमें आर्थिक लाभ या हानि का तत्व विद्यमान हो, आर्थिक गतिविधियाँ कही जाती हैं । अर्थव्यवस्था एक अधूरा शब्द है अगर इसके पूर्व किसी देश या किसी क्षेत्र-विशेष का नाम न जोड़ा जाए। वास्तव में जब हम किसी देश को उसकी समस्त आर्थिक क्रियाओं के संदर्भ में परिभाषित करते हैं, तो उसे अर्थव्यवस्था कहते हैं। आर्थिक क्रिया किसी देश के व्यापारिक क्षेत्र, घरेलू क्षेत्र तथा सरकार द्वारा दुर्लभ संसाधनों के प्रयोग, वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग, उत्पादन तथा वितरण से संबंधित है।


अर्थव्यवस्था की परिभाषा

1. अर्थव्यवस्था की परिभाषा: न्यून, मध्य तथा उच्च आय विश्व बैंक के वर्गीकरण के अनुसार प्रतिव्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को निम्न चार वर्गों में बाँटा गया है—

2. निजी क्षेत्र और बाजार के सापेक्ष राज्य व सरकार की भूमिका के आधार पर अर्थव्यवस्थाओं का वर्गीकरण तीन श्रेणियों में किया जाता है-

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है 

1. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था : इस अर्थ व्यवस्था में क्या उत्पादन करना है, कितना उत्पादन करना है और उसे किस कीमत पर बेचना है, ये सब बाजार तय करता है, इसमें सरकार की कोई आर्थिक भूमिका नहीं होती है


नोट : 1776 ई. में प्रकाशित एड्म स्मिथ की किताब 'द वेल्थ ऑफ नेशंस' को पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का उद्गम स्रोत माना जाता है।


राज्य अर्थव्यवस्था क्या है 

2. राज्य अर्थव्यवस्था : इस अर्थव्यवस्था की उत्पत्ति पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की लोकप्रियता के विरोध स्वरूप हुआ। इसमें उत्पादन, आपूर्ति और कीमत सबका फैसला सरकार द्वारा लिया जाता है। ऐसी अर्थव्यवस्थाओं को केंद्रीकृत नियोजित अर्थव्यवस्था कहते हैं जो गैर-बाजारी अर्थव्यवस्था होती है। राज्य अर्थव्यवस्था की दो अलग अलग शैली नजर आती है, सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं जबकि 1985 ई. से पहले चीन की अर्थव्यवस्था को साम्यवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं। समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर सामूहिक नियंत्रण की बात शामिल थी और अर्थव्यवस्था को चलाने में सरकार की बड़ी भूमिका थी वहीं साम्यवादी अर्थव्यवस्था में सभी सम्पत्तियों पर सरकार का नियंत्रण था और श्रमसंसाधन भी सरकार के अधीन थे।


नोट: पहली बार राज्य अर्थव्यवस्था सिद्धांत जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स (1818-1883 ई.) ने दिया था, जो एक व्यवस्था के तौर पर पहली बार 1917 ई. की बोलशेविक क्रांति के बाद सोवियत संघ में नजर आई और इसका आदर्श रूप चीन (1949 ई.) में सामने आया।


मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है 

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था इसमें कुछ लक्षण राज्य अर्थव्यवस्था के मौजूद होते हैं, तो कुछ लक्षण पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के यानी सरकारी एवं निजी क्षेत्र का सहअस्तित्व द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद उपनिवेशवाद के चंगुल से निकले दुनिया के कई देशों ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया। इनमें भारत, मलेशिया एवं इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।


नोट : कैंस ने सुझाव दिया था कि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर कुछ कदम बढ़ाना चाहिए जबकि प्री. लांज ने कहा कि समाजवादी अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर कुछ कदम बढ़ाना चाहिए। 


बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें न तो निर्यात और न ही आयात होता है यानी ऐसी अर्थव्यवस्था का शेष विश्व से कोई संबंध नहीं होता।


अर्थव्यवस्था के क्षेत्र

मानव के वे तमाम क्रियाकलाप जो आय-सृजन में सहायक होते हैं, उन्हें आर्थिक क्रिया की संज्ञा दी गई है। आर्थिक क्रिया किसी देश के व्यापारिक क्षेत्र, घरेलू क्षेत्र तथा सरकार द्वारा दुर्लभ संसाधनों के प्रयोग, वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग, उत्पादन तथा वितरण से संबंधित है। अर्थव्यवस्था की आर्थिक गतिविधियों को तीन श्रेणियों यें बाँटा गया है, जिन्हें अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक कहा जाता है।

प्राथमिक क्षेत्र

1. प्राथमिक क्षेत्र : अर्थव्यवस्था का यह क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण पर निर्भर होती है। इन गतिविधियों का संबंध भूमि, जल, वनस्पति और खनिज जैसे प्राकृतिक संसाधनों से है। प्राथमिक क्षेत्रक में शामिल है— 1. कृषि 2. वानिकी 3. मत्स्य पालन 4. पशुपालन 5. खनन और उत्खनन इसमें संलग्न श्रम की प्रकृति को रेड कॉलर जॉब के जरिए संकेतित किया जाता है ।

द्वितीयक क्षेत्र

2. द्वितीयक क्षेत्र : अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल की तरह उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है द्वितीयक क्षेत्रक में शामिल है— 1. विनिर्माण 2. विद्युत, गैस, जलापूर्ति और अन्य जनोपयोगी सेवाएँ 3. निर्माण वास्तव में इस क्षेत्रक में विनिर्माण कार्य होता है, इस कारण ही इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है । इसमें लगे कुशल श्रमिकों को ह्वाइट कॉलर जॉब के अंतर्गत स्थान दिया जाता है, जबकि उत्पादन-प्रक्रियामें प्रत्यक्ष रूप से संलग्न श्रमिकों को ब्लू कॉलर जॉब के अंतर्गत रखा जाता है।


तृतीयक क्षेत्र

3. तृतीयक क्षेत्र: इस क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उत्पादन किया जाता है; तृतीयक क्षेत्रक यानि सेवा क्षेत्र में शामिल हैं— 1. व्यापार, होटल, परिवहन, भंडारण, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाएं 2. वितीय : अचल संपत्ति और व्यवसायिक सेवाएं 3. लोक प्रशासन, रक्षा व अन्य सेवाएं।


तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में सबसे अधिक योगदान करता है।


 नोट: भारतीय अर्थव्यवस्था एक श्रम आधिक्यवाली अर्थव्यवस्था है।



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