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 जीवधारियों का वर्गीकरण 

jivdhariyo ka vargikaran


1. अरस्तू द्वारा समस्त जीवों की दो समूहों में विभाजित कि गया-जन्तु समूह एवं वनस्पति-समूह 


2. लीनियस ने भी अपनी पुस्तक Systema Naturae में सम्पूर्ण जीवधारियों को दो जगतों (Kingdoms) पादप जगत (Plant Kingdom) व जन्तु जगत (Animal Kingdom) में विभाजित किया


3. लीनियस ने वर्गीकरण की जो प्रणाली शुरू की उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी, इसलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता (Father of Modern Taxonomy) कहते हैं


जीवधारियों का पाँच-जगत वर्गी


(Five-Kingdom Classification of Organism): 

 परम्परागत द्विजगत वर्गीकरण का स्थान अन्ततः ह्रिटकर (Whittaker) द्वारा सन् 1969 ई. में प्रस्तावित 5 जगत प्रणाली ने ले लिया। इसके अनुसार समस्त जीवों को निम्नलिखित पाँच जगत (Kingdom) में वर्गीकृत किया गया-1. मोनेरा (Monera) 2. प्रोटिस्टा (Protista) 3. पादप (Plantae) 4. कवक (Fungi) एवं 5. जन्तु (Animal) |करण।।या(Animal) |

मोनेरा क्या है 

1. मोनेरा (Monera) : इस जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया तथा आर्की बैक्टीरिया सम्मिलित किये जाते हैं। तन्तुमय जीवाणु भी इसी जगत के भाग हैं।


प्रोटिस्टा क्या है 

2. प्रोटिस्टा (Protista): इस जगत में विविध प्रकार के एककोशिकीय, प्रायः जलीय (Aquatic) यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किये गये हैं। पादप एवं जन्तु के बीच स्थित येग्लीना इसी जगत में है। यह दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है—सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव में इतर पोषित इसके अन्तर्गत साधारणतया प्रोटोजोआ आते हैं।


पादप क्या है 

3. पादप (Plantae) : इस जगत में प्रायः सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश-संश्लेषी उत्पादक जीव सम्मिलित हैं। शैवाल, मॉस, पुष्पीय तथा अपुष्पीय बीजीय पौधे इसी जगत के अंग हैं।


कवक क्या है 

4. कवक (Fungi): इस जगत में वे यूकैरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किये जाते हैं जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है। ये सभी इतरपोषी होते हैं। ये परजीवी अथवा मृतोपजीवी होते हैं। इसकी कोशिका भित्ति काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी होती है।


जन्तु क्या है 

5. जन्तु (Animal): इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तुसमभोजी (Holozoic) यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव सम्मिलित किये जाते हैं। इनको मेटाज़ोआ (Metazoa) भी कहते हैं। हाइड्रा, जेलीफिश, कृमि, सितारा, मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी जगत के अंग हैं।


नोट : वर्गीकरण की आधारभूत इकाई जाति (species) है।


जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति

1753 ई. में कैरोलस लीनियस नामक वैज्ञानिक जिन्हें वर्गिकी का जन्मदाता (Father of Taxonomy) भी कहा जाता है, ने जीवों की द्विनाम पद्धति प्रचलित किया । पद्धति के को म इस अनुसार, प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बनता है । पहला शब्द वंश नाम (Generic name) तथा दूसरा शब्द जाति नाम ( Species name) कहलाता है। वंश तथा जाति नामों के बाद उस वर्गिकीविद् (वैज्ञानिक) का नाम लिखा जाता है, जिसने सबसे पहले उस जाति को खोजा या जिसने इस जाति को सबसे पहले वर्तमान नाम प्रदान किया। जैसे—मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सैपियन्स लिन (Homo Sapiens Linn) है वास्तव में होमो (Homo) उस वंश का नाम है, जिसकी एक जाति सैपियन्स है । लिन (Linn) वास्तव में लीनियस (Linnaeus) शब्द का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ यह है कि सबसे पहले लीनियस ने इस जाति को होमोसैपियन्स नाम से पुकारा है।


कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम

मनुष्य (Man) Homo Sapiens

मेंढक (Frog) 🐸 Rana tigrina

बिल्ली (Cat) 😺 Felis domestica

कुत्ता (Dog 🐶 Canis familiaris

गाय (Cow) 🐄 Bos indicus 

मक्खी (Housefly) Musca domestica 

आम (Mango) 🥭 Mangifera indica

धान (Rice) 🍚 Oryza sativa

गेहूँ (Wheat ) 🌾 Triticum aestivum 

मटर (Pea) Pisum sativum

चना (Gram). Cicer arietinum

सरसों(Mustard) Brassica campestris


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