प्रागैतिहासिक काल
इतिहास का विभाजन प्रागितिहास (Pre history), आध इतिहास (Proto history) व इतिहास (History) तीन भागों में किया गया है।
"आद्य ऐतिहासिक काल उस द. नवपाषाण चमकीला धूसर
काल को कहते हैं, जिस काल में पूर्वी नवपाषाण भूरा लाल लेखन कला के के बाद उपलब्ध लेख पढ़े नहीं जा सके हैं। मानव विकास के उस काल को इतिहास कहा जाता है, जिसका विवरण लिखित रूप में उपलब्ध है ।
1.'ज्ञानी मानव' (होमोसेपियंस) का प्रवेश इस धरती पर आज से लगभग तीस या चालीस हजार वर्ष पूर्व हुआ।
2.पूर्व पाषाण युग' या पूरा पाषाणकाल के मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था— शिकार पुरा-पाषाणकाल में आदि मानव
के मनोरंजन के भी साधन थे।
आग का आविष्कार पुरा-पाषाणकाल में एवं पहिये का
नव पाषाणकाल में हुआ > मनुष्य में स्थायी निवास की प्रवृत्ति नव पाषाणकाल में हुई तथा उसने सबसे पहले कुत्ता को पालतू बनाया।
मनुष्य ने सबसे पहले कौन सा धातु का प्रयोग किया?
मनुष्य ने सर्वप्रथम ताँबा धातु का प्रयोग किया तथा उसके द्वारा बनाया जानेवाला प्रथम औजार कुल्हाड़ी (प्राप्ति स्थल-अतिरम्पक्कम) था । कृषि का आविष्कार नव पाषाणकाल में हुआ प्रागैतिहासिक अन्न उत्पादक स्थल मेहरगढ़ पश्चिमी बलूचिस्तान में अवस्थित है कृषि के लिए अपनाई गई सबसे प्राचीन फसल गेहूँ (पहली फसल) एवं जौ थी लेकिन मानव द्वारा सर्वप्रथम प्रयुक्त अनाज चावल था ।
भारत में सबसे पहले औजारों की खोज कहां हुई?
कृषि का प्रथम उदाहरण मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ है। कोल्डिहवा का संबंध चावल के प्राचीनतम साक्ष्य से है भारत में पूर्व प्रस्तर युग के अधिकांश औजार स्फटिक (पत्थर) के बने थे। रॉबर्ट ब्रुस फुट पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1863 में भारत में पुरापाषाणकालीन औजारों की खोज की। पल्लावरम् नामक
स्थान पर प्रथम भारतीय पुरापाषाण कलाकृति की खोज हुई थी। भारत में मध्य पाषाणकाल के विषय में जानकारी सर्वप्रथम 1867 ई. में हुई जब सी. एल. कार्लाइल ने विंध्यक्षेत्र में लघु पाषाणोपकरण (Microliths) खोज निकाले। भारत में मानव अस्थिपंजर, मध्य
पाषाणकाल से ही सर्वप्रथम प्राप्त होने लगता है। भारत में नवपाषाणकालीन सभ्यता का प्रारंभ ईसा पूर्व चार हजार के लगभग हुआ
भारत का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदड़ो था, सिंधी भाषा में जिसका अर्थ है मृतकों का टीला । मात्र
असम का श्वेतभ्रू गिवन भारत में पाया जाने वाला एक मानवाभ कपि है।
इनामगाँव ताम्रपाषाण युग की एक बड़ी बस्ती थी। इसका संबंध जोर्वे संस्कृति से है। भारत में शिवालक की पहाड़ी से जीवाश्म का प्रमाण मिला है।
भीमबेटका (भीमबैठका) गुफा पुराषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि मानव द्वारा बनाए गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषण काल से मध्य पाषण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्रचीनतम चिह्न है यह म.प्र. के रायसेन जिले में स्थित है। इसकी खोज वर्ष 1957-58 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
मनुष्य संबंधी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घभारत में कहां मिला
भारत में मनुष्य संबंधी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घाटी में मिला है
भारत में मनुष्य संबंधी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घाटी में मिला है। नोट:
भारतीय नागरिक सेवा के अधिकारी रिजले प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने प्रथम बार वैज्ञानिक आधार पर भारत की जनसंख्या का प्रजातीय विभेदीकरण किया।