पृथ्वी की आन्तरिक संरचना | prthvee kee aantarik sanrachana

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पृथ्वी की आन्तरिक संरचना

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना

पृथ्वी की आन्तरिक संरचना


पृथ्वी की आन्तरिक संरचना
के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों में मतभेद है । भू-गर्भ में पायी जाने वाली परतों की मोटाई, घनत्व, तापमान, भार एवं वहाँ पाये जाने वाले पदार्थ की प्रकृति पर अभी पूर्ण सहमति नहीं हो पायी है। फिर भी तापमान, दबाव, घनत्व, उल्काओं एवं भूकम्पीय तरंगों पर आधारित प्रमाणों को एकत्रित करके पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किये गये हैं । पृथ्वी के अन्दर के हिस्से को तीन भागों में बाँटा गया है— 

1. भू-पर्पटी (Crust)

2. आवरण (Mantle) एवं

3. केन्द्रीय भाग (Core)।


1. भू-पर्पटी (Crust) किसे कहते हैं

भू-पर्पटी (Crust) : पृथ्वी के ऊपरी भाग को भू-पर्पटी कहते हैं यह अन्दर की तरफ 34 किमी तक का क्षेत्र है। यह मुख्यतः बेसाल्ट चट्टानों से बना है। इसके दो भाग हैं— 1. सियाल (SiAl) और 2. सीमा (SiMa) । सियाल क्षेत्र में सिलिकन एवं एलुमिना तथा सीमा क्षेत्र में सिलिकन एवं मैग्नेशियम की बहुलता होती है। कर्स्ट भाग का औसत घनत्व - 2.7 ग्राम / सेमी 3 है यह पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% भाग घेरे हुए है।


2. भूपटल किसे कहते हैं

भूपटल की रचना सामग्री वजन के अनुसार सबसे अधिक ऑक्सीजन (46.60%), दूसरे स्थान पर सिलिकन (27.72%) तीसरे स्थान पर एल्युमिनियम (8.13%), चौथे स्थान पर लोहा (5%) पाँचवें स्थान पर कैल्शियम (3.63%), छठे स्थान पर सोडियम (2.83%) सातवें स्थान पर पोटैशियम (2.59%) एवं आठवें स्थान पर मैग्नेशियम (2.09%) है यानी पृथ्वी के संपूर्ण पर्पटी का लगभग 98% भाग ऊपर दिए गए आठ तत्वों से मिलकर ही बना है। शेष भाग टाइटेनियम, हाइड्रोजन, फास्फोरस, मैंगनीज, सल्फर, कार्बन, निकल एवं अन्य पदार्थ से मिलकर बना है।


3. मेंटल (Mantle) किसे कहते हैं

मेंटल (Mantle) 2,900 किमी मोटा यह क्षेत्र मुख्यतः बेसाल्ट पत्थरों के समूह की चट्टानों से बना है। Mantle के इस हिस्से में मैग्मा चैम्बर पाये जाते हैं। इसका औसत घनत्व 3.5 ग्राम / सेमी. से 5.5 / सेमी है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 83% भाग घेरे हुए है। ग्राम/ कोनराड असंबद्धता ऊपरी क्रस्ट एवं निचले क्रस्ट के बीच के सीमा क्षेत्र को कोनराड असंबद्धता कहते हैं।


यह भी जाने।

1. मोहविसिक डिसकन्टीन्यूटी (Mohovicic Discontinuity) क्रस्ट एवं मेंटल के बीच के सीमा क्षेत्र को Mohovicicdiscontinuity कहते हैं।

2. रेपेटी असंबद्धता ऊपरी मेंटल एवं निचले के बीच के सीमा क्षेत्रको रेपेटी असंबद्धता कहते हैं।

3. गुटेनबर्ग-विशार्ट असंबद्धता निचले मेंटल तथा ऊपरी क्रोड के सीमा क्षेत्र को गुटेनबर्ग-विशार्ट असंबद्धता कहते हैं।  लेहमैन असंबद्धता बाह्य क्रोड तथा आन्तरिक क्रोड के सीमा क्षेत्र को लेहमैन असंबद्धता कहते हैं।

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4. केन्द्रीय भाग (Core) किसे कहते हैं

केन्द्रीय भाग (Core) पृथ्वी का केन्द्रीय भाग (core) निकेल व फेरस का बना है। इसका औसत घनत्व 13 ग्राम / सेमी. है। पृथ्वी का केन्द्रीय भाग संभवतः द्रव अथवा प्लास्टिक अवस्था में है। यह पृथ्वी का कुल आयतन का 16% भाग घेरे हुए है 1


पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम / सेमी एवं औसत त्रिज्या लगभग 6370 किमी है।  पृथ्वी के नीचे जाने पर प्रति 32 मीटर की गहराई पर तापमान 1°C बढ़ता जाता है


पृथ्वी के स्थलीय क्षेत्र पर सबसे नीचा क्षेत्र जॉर्डन में मृत सागर के आस-पास का क्षेत्र है। यह क्षेत्र समुद्रतल से औसतन 400 मी. नीचा है। सबसे पहले पाइथागोरस ने बताया कि पृथ्वी गोल है और यह आकाश में स्वतंत्र रूप से लटकी हुई है। सर आइजक न्यूटन साबित किया कि पृथ्वी नारंगी के समान है। ने


पृथ्वी की सतह किसे कहते हैं

जेम्स जीन ने इसे नारंगी के बजाय नाशपाती के समान बतलाया। - पृथ्वी की बाह्य सतह को मुख्यतः 4 भागों में बाँट सकते हैं

1. स्थलमंडल (Lithosphere) 

2. जलमंडल (Hydrosphere)

3. वायुमंडल (Atmosphere)

4. जैवमंडल (Biosphere)


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मुझे आशा है कि आपको यह ब्लॉग पढ़कर अच्छा लगा होगा, इस ब्लॉग में दी गई जानकारी मेरे द्वारा लिखी गई है, मुझे आशा है कि इस ब्लॉग में दी गई सभी जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आपको पढ़ने में आनंद आएगागा

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